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अंधेरे का रहस्य

रात घनी और ठंडी थी। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। दूर कहीं से कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ रही थी, मानो कोई अनहोनी होने वाली हो। आसमान में काले बादल छाए थे, और हल्की-हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। अर्जुन अपनी कार चलाते हुए घर की ओर बढ़ रहा था।

अंधेरे का रहस्य

अंधेरी रात की चीख

रात घनी और ठंडी थी। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। दूर कहीं से कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ रही थी, मानो कोई अनहोनी होने वाली हो। आसमान में काले बादल छाए थे, और हल्की-हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। अर्जुन अपनी कार चलाते हुए घर की ओर बढ़ रहा था।

जैसे ही उसने अपनी गली में गाड़ी मोड़ी, अजीब-सी बेचैनी उसके दिल में उठने लगी। घर के बाहर का लैंप बुझा हुआ था, जबकि रिद्धिमा हमेशा उसे जलाकर रखती थी।

“कुछ तो गड़बड़ है,” अर्जुन ने बुदबुदाया।

जैसे ही वह दरवाज़े की ओर बढ़ा, उसे अंदर से हल्की-हल्की आवाज़ सुनाई दी। दिल की धड़कनें तेज हो गईं। उसने कांपते हाथों से चाबी निकाली और दरवाज़ा खोला। अंदर का नज़ारा देख उसकी रूह काँप उठी।

 लहू से सना कमरा

कमरे में खून की गंध फैली थी और  टेबल की चीजें इधर-उधर बिखरी हुई थीं।  सामने रिद्धिमा फर्श पर पड़ी थी—बेजान, खून से लथपथ। अर्जुन के हाथ से चाबी गिर पड़ी।

“रिद्धिमा!” वह चीख पड़ा और दौड़कर उसके पास गया। उसका शरीर ठंडा था। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन उनमें अब कोई जीवन नहीं था।

अर्जुन के दिमाग में एक के बाद एक झटके लग रहे थे। उसने जल्दी से फोन निकाला और पुलिस को सूचना दी। लेकिन इंतजार करना मुश्किल था। वह कमरे को गौर से देखने लगा। ड्रेसिंग टेबल का शीशा टूटा हुआ था, दीवारों पर खरोंच के निशान थे।

“यह कोई लूटपाट नहीं थी,” उसने खुद से कहा, “यह एक साजिश थी!”

 पुलिस की बेरुखी

आधे घंटे बाद पुलिस आई। इंस्पेक्टर यादव अंदर आया और लाश का निरीक्षण किया। उसने अपने साथ आए कांस्टेबल से कहा, “ऐसा लगता है कि कोई निजी दुश्मनी थी।”

अर्जुन ने पुलिस से बार-बार अनुरोध किया कि मामले की गहराई से जाँच की जाए, लेकिन पुलिस ने सिर्फ औपचारिकता निभाते हुए कुछ तस्वीरें खींचीं और कुछ साधारण सवाल पूछे और अपराध स्थल को ठीक से जाँचें बिना ,इंस्पेक्टर यादव ने टालमटोल करते हुए कहा,। “हम देखेंगे, लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।”

उसकी आँखों में गुस्सा और हताशा दोनों थे। वह समझ गया था कि पुलिस इस केस को गंभीरता से नहीं ले रही है, बल्कि केवल जाँच का दिखावा कर रही है।

उसने इंस्पेक्टर की ओर देखा और कहा , “इसे दुश्मनी कहकर टाल नहीं सकते! यह हत्या है! मेरी पत्नी की हत्या हुई है!”

“हम जाँच करेंगे,” इंस्पेक्टर ने कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में कोई गंभीरता नहीं थी।

अर्जुन को समझ आ गया कि पुलिस इस केस को गंभीरता से नहीं लेने वाली। वह बाहर आया, घुटनों के बल बैठा, और रो पड़ा।

 जब अपनों ने मुँह मोड़ा

अर्जुन ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को फोन किया, लेकिन कोई मदद करने को तैयार नहीं था। रिद्धिमा के परिवार ने भी कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। शायद इसका एक बड़ा कारण यह था कि अर्जुन और रिद्धिमा ने लव मैरिज की थी, जो रिद्धिमा के परिवार को कभी स्वीकार नहीं थी।

“अर्जुन, हम जानते हैं कि यह तुम्हारे लिए मुश्किल है, लेकिन हमें लगता है कि पुलिस अपनी जाँच कर रही है।” उसके साले ने रूखे स्वर में कहा।

“यह जाँच नहीं, एक दिखावा है!” अर्जुन चिल्लाया। लेकिन कोई उसकी बात सुनने को तैयार नहीं था।

रिद्धिमा के परिवार के लिए अर्जुन हमेशा एक बाहरी व्यक्ति था। उन्हें लगा कि यह शादी ही उनके परिवार की इज्जत पर दाग थी, और अब जब रिद्धिमा नहीं रही, तो उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।

वह पूरी तरह से अकेला महसूस कर रहा था। बस एक ही इंसान था जो अब भी उसके साथ था—समीर, उसका सबसे अच्छा दोस्त।

“अर्जुन, हम जानते हैं कि यह तुम्हारे लिए मुश्किल है, लेकिन हमें लगता है कि पुलिस अपनी जाँच कर रही है।” उसके साले ने रूखे स्वर में कहा।

“यह जाँच नहीं, एक दिखावा है!” अर्जुन चिल्लाया। लेकिन कोई उसकी बात सुनने को तैयार नहीं था।

वह पूरी तरह से अकेला महसूस कर रहा था। बस एक ही इंसान था जो अब भी उसके साथ था—समीर, उसका सबसे अच्छा दोस्त।

 रहस्यमयी सुराग

समीर और अर्जुन ने खुद जाँच करने की ठानी। सबसे पहले उन्होंने घर के सीसीटीवी कैमरों को चेक किया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि उस रात कैमरे बंद कर दिए गए थे।

“कोई अंदर से ही यह काम कर रहा था,” समीर ने कहा।

अर्जुन को अचानक याद आया कि रिद्धिमा ने कुछ दिन पहले किसी से फोन पर बहस की थी। उसने जल्दी से उसका फोन निकाला और कॉल लॉग चेक किया। एक नंबर बार-बार डायल किया गया था।

“यह नंबर किसका है?” अर्जुन ने खुद से पूछा और तुरंत उसे ट्रेस करने की कोशिश की

अज्ञात दुश्मन

नंबर किसी ‘रवि सिंह’ के नाम पर था। अर्जुन ने जानकारी निकालने की कोशिश की तो पता चला कि वह एक नामी बिजनेसमैन था, जिसके कई काले कारनामों की खबरें पहले भी आ चुकी थीं। अर्जुन ने पहले उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल खंगाली, लेकिन वहाँ कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। फिर उसने कुछ पत्रकारों से संपर्क किया, लेकिन वे या तो डर गए या टाल-मटोल करने लगे।

उसने एक बार रवि सिंह के ऑफिस के बाहर खड़े होकर कर्मचारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं था। एक रात, अर्जुन ने गुप्त रूप से उसके घर के पास जाकर वहाँ होने वाली गतिविधियों को रिकॉर्ड करने का प्रयास किया, लेकिन तभी किसी ने उसे देख लिया और वह बाल-बाल बचा।

हर बार जब वह सच के करीब पहुँचता, कोई न कोई दीवार खड़ी हो जाती। लेकिन अर्जुन हार मानने वालों में से नहीं था।

“रिद्धिमा इस आदमी के बारे में क्या जानती थी?” अर्जुन सोचने लगा। अचानक उसे याद आया कि कुछ दिन पहले रिद्धिमा ने उसे एक बार कहा था, “अगर कभी कुछ गलत हो जाए, तो मेरी डायरी देखना। उसमें सब कुछ लिखा है।” अर्जुन ने घबराकर अलमारी खोली और रिद्धिमा की डायरी निकाली। उसमें कुछ पन्ने फटे हुए थे, लेकिन जो बचा था, उसने अर्जुन को झकझोर दिया। रिद्धिमा ने लिखा था कि वह रवि सिंह के किसी बड़े राज़ को उजागर करने वाली थी। उसके पास कुछ वीडियो क्लिप्स और दस्तावेज़ थे, जो उसने सुरक्षित जगह पर छिपा दिए थे। अर्जुन को समझ आ गया कि यह सिर्फ एक हत्या नहीं थी, बल्कि एक गहरी साजिश थी।

वह और समीर रवि के ऑफिस पहुँचे, लेकिन गार्ड्स ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया।

उसी रात अर्जुन के घर में घुसने की कोशिश की गई। सौभाग्य से, समीर सतर्क था और दोनों समय रहते बच निकले।

“हमें और सबूत चाहिए,” समीर ने कहा।

 खतरे की परछाई

अर्जुन और समीर ने रात में रवि सिंह की जासूसी शुरू की। वे अक्सर उसकी गतिविधियों को दूर से देखते, लेकिन हर बार कुछ न कुछ रहस्यमय घटता। एक रात, जब वे उसके ऑफिस के बाहर खड़े थे, उन्होंने देखा कि एक काला ट्रक अंदर जाता है और कुछ देर बाद खाली लौट आता है। ट्रक में क्या था? उन्हें यह जानना जरूरी था।

अर्जुन ने एक दिन रवि के पुराने कर्मचारी से संपर्क किया, जिसने डरते-डरते बताया कि रवि के गोदाम में सिर्फ अवैध धंधे ही नहीं, बल्कि कुछ खतरनाक और अप्रत्याशित चीज़ें भी होती हैं। “कोई वहाँ गया तो वापस नहीं आता,” कर्मचारी ने फुसफुसाते हुए कहा।

कुछ दिनों बाद, अर्जुन और समीर को पक्का सुराग मिला—रवि के एक गोदाम में रात के समय गुप्त गतिविधियाँ होती थीं। वे छिपते हुए उस गोदाम तक पहुँचे और एक टूटी खिड़की से अंदर झाँका। अंदर जो देखा, उसने उनके होश उड़ा दिए।

रात के अंधेरे में वे वहाँ पहुँचे। अंदर जाने पर दोनों दंग रह गए। वहाँ नकली नोटों का धंधा चल रहा था।

“अब सबूत हमारे पास है,” समीर ने कहा।

लेकिन तभी चार-पाँच गुंडों ने उन्हें घेर लिया।

 मौत का सामना

“बहुत होशियारी दिखा रहे थे न?” रवि सिंह वहाँ खड़ा मुस्कुरा रहा था।

गुंडों ने चारों ओर से हमला कर दिया। एक ने समीर पर लोहे की रॉड से वार किया, लेकिन समीर ने फुर्ती से झुककर उसे पीछे धकेल दिया। अर्जुन ने तेजी से एक कुर्सी उठाई और सामने वाले गुंडे के सिर पर दे मारी। कमरा लड़ाई की आवाज़ों से गूंज उठा।

अचानक, रवि सिंह ने अपनी जेब से पिस्तौल निकाली और अर्जुन पर तान दी। “बहुत होशियार बन रहे थे, अब बचकर दिखाओ!” वह गरजा।

लेकिन समीर ने तुरंत एक बोतल उठाकर रवि के हाथ पर दे मारी, जिससे उसकी पकड़ ढीली हो गई और बंदूक ज़मीन पर गिर गई। अर्जुन ने बिना समय गंवाए उसे उठा लिया और गुंडों पर निशाना साधा।

“अब कोई भी हिलेगा नहीं!” अर्जुन की आवाज़ गूंज उठी।

इस बीच, पुलिस को फोन कर दिया गया था। जैसे ही पुलिस मौके पर पहुँची, गुंडों को गिरफ्तार कर लिया गया। अर्जुन और समीर ने मीडिया को सबूत सौंप दिए, जिससे रवि सिंह का पूरा काला सच दुनिया के सामने आ गया।

 न्याय की जीत

अगले दिन यह खबर न्यूज चैनलों पर छा गई। पुलिस को मजबूरन रवि सिंह को गिरफ्तार करना पड़ा।

अर्जुन ने अपनी पत्नी को खो दिया था, लेकिन उसने उसकी मौत का बदला ले लिया था।

“मैंने तुम्हें खो दिया, रिद्धिमा, लेकिन तुम्हारी सच्चाई को सामने लाकर तुम्हें न्याय दिला पाया,” अर्जुन ने उसकी तस्वीर को देखते हुए कहा।

समाप्त।

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