मन की बात

आत्मनिर्भरता हमारी नीति ही नहीं, हमारा जुनून भी’; मन की बात में बोले पीएम मोदी

PM Modi Mann ki Baat 115th Episode Updates: इस कार्यक्रम की शुरुआत तीन अक्तूबर 2014 को हुई थी। इसे 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा 11 विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित किया जाता है, जिसमें फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए लोगों को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने आत्मनिर्भर भारत पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने सरदार पटेल और भगवान बिरसा मुंडा को भी याद किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों महापुरुषों के सामने अलग-अलग चुनौतियां थीं लेकिन उनका विजन एक ही था, ‘देश की एकता’। इसके अलावा उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में एनिमेशन के क्षेत्र भारत के विकास पर भी चर्चा की।
सरदार पटेल और भगवान बिरसा मुंडा को किया याद
‘मन की बात’ के 115वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने हर युग में कुछ चुनौतियों का सामना किया है। आज मन की बात में मैं दो ऐसे महानायकों की चर्चा करूंगा जिनमें साहस और दूरदर्शिता थी। देश ने उनकी 150वीं जयंती मनाने का फैसला किया है। 31 अक्टूबर से सरदार पटेल की 150वीं जयंती वर्ष की शुरुआत होगी। इसके बाद 15 नवंबर से भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष की शुरुआत होगी। इन दोनों महापुरुषों के सामने अलग-अलग चुनौतियां थीं लेकिन उनका विजन एक ही था, ‘देश की एकता’।

आत्मनिर्भरता हमारी नीति ही नहीं, हमारा जुनून भी
उन्होंने आगे कहा कि आत्मनिर्भरता हमारी नीति ही नहीं, हमारा जुनून बन गया है। बहुत साल नहीं हुए, सिर्फ 10 साल पहले की बात है, तब अगर कोई कहता था कि भारत में कोई जटिल तकनीक विकसित की जा रही है तो कई लोगों को विश्वास नहीं होता था, तो कई उपहास उड़ते थे। लेकिन आज वही लोग, देश की सफलता को देखकर अचंभे में रहते हैं। आत्मनिर्भर हो रहा भारत हर क्षेत्र में कमाल कर रहा है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान एक जन-आंदोलन बन रहा
‘मन की बात’ के 115वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब आत्मनिर्भर भारत अभियान एक जन-आंदोलन बनता जा रहा है। इसी महीने हमने लद्दाख के हान्ले में एशिया के सबसे बड़े ‘इमेजिंग टेलीस्कोप MACE’ का उद्घाटन किया। यह 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है… एक ऐसी जगह जहां ठंड -30 डिग्री से भी कम है, जहां ऑक्सीजन तक की कमी है, हमारे वैज्ञानिकों और स्थानीय उद्योग ने वो कर दिखाया है जो एशिया के किसी और देश ने नहीं किया। हान्ले टेलिस्कोप भले ही दूर की दुनिया देख रहा हो, लेकिन ये हमें आत्मनिर्भर भारत की ताकत भी दिखा रहा है।

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