मौनी अमावस्या पर क्यों रहते हैं मौन, यहां से जानें
Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु स्नान से पूर्व मौन रहते हैं. यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन भी है. ऐसा माना जाता है कि मौन रखने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और आत्म-विश्लेषण का अवसर प्राप्त होता है.

Mauni Amavasya 2025: माघ मास में शनिवार को आने वाली यह अमावस्या विशेष रूप से शुभ मानी जाती है, जिसे मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि मान्यता है कि सुबह मौन रहकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं और मन की शुद्धि होती है. मौनी अमावस्या पर मौन रहने का नियम है. यहां जानें क्यों रहते हैं इस दिन मौन
मौनी अमावस्या पर मौन रहने का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य और चंद्रमा को मन का प्रतीक माना जाता है, जिसके कारण हमारा मन चंद्रमा की तरह अस्थिर और चंचल होता है. साधना के समय यह मन अक्सर भटक जाता है. इस स्थिति में, किसी भी साधना या पूजा को बिना विघ्न के संपन्न करने के लिए मन का नियंत्रण आवश्यक है. इसलिए, माघ अमावस्या के दिन मौन रखने की सलाह दी जाती है. कहा जाता है कि इस दिन यदि कोई व्यक्ति अपने मन और वाणी पर नियंत्रण रखते हुए स्नान, दान, पूजा और अर्चना करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं अवश्य पूरी होती हैं.
मौनी अमावस्या पर स्नान और दान का शुभ समय
29 जनवरी 2025 को अमावस्या तिथि का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:30 बजे से 6:22 बजे तक रहेगा.
इस दिन लाभ चौघड़िया सुबह 7:10 बजे पर प्रारंभ होगा.
अमृत चौघड़िया सुबह 8:31 बजे से 9:52 बजे तक उपलब्ध रहेगा.
शुभ चौघड़िया सुबह 11:13 बजे से 12:34 बजे तक रहेगा.
माघ मौनी का महत्व
माघ मौनी अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन मौन रहने का महत्व इसलिए है क्योंकि अमावस्या के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं होता, जिससे मन की स्थिति कमजोर हो जाती है. इस दिन मौन रहकर व्रत करने से मन को नियंत्रित किया जा सकता है. अनेक लोग इस अवसर पर मौन धारण कर पूजा-अर्चना करते हैं और फिर पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करते हैं.
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